Tej Pratap Yadav का भावुक संदेश: 'मेरे प्यारे मम्मी-पापा... बस आपका प्यार चाहिए, कुछ और नहीं
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आज हम बात करेंगे एक ऐसी खबर की जिसने बिहार की सियासत को झकझोर कर रख दिया है। ये खबर सिर्फ एक राजनेता की निजी जिंदगी की नहीं, बल्कि उस परिवार की है जिसे बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा नाम माना जाता है। बात हो रही है लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की, जिन्हें अब न तो पार्टी में जगह मिली है और न ही परिवार में। और जब इंसान को अपने ही घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए, तो दिल क्या महसूस करता है, ये तेज प्रताप की हालिया पोस्ट से साफ नजर आता है।
तेज प्रताप यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक भावुक पोस्ट साझा किया है जिसमें उन्होंने अपने माता-पिता लालू यादव और राबड़ी देवी के लिए लिखा – "मेरे प्यारे मम्मी-पापा, मेरी सारी दुनिया आप दोनों में ही समाई है। भगवान से बढ़कर हैं आप और आपका दिया कोई भी आदेश। आप हैं तो सब कुछ है मेरे पास। मुझे बस आपका विश्वास और प्यार चाहिए, ना कि कुछ और।" इस पोस्ट में तेज प्रताप ने साफ-साफ लिखा कि अगर पापा नहीं होते तो न पार्टी होती और न ही उनके साथ राजनीति करने वाले कुछ जयचंद जैसे लालची लोग। उन्होंने सिर्फ अपने मां-बाप की सेहत और खुशियों की कामना की।
ये भावुकता ऐसे वक्त पर सामने आई है जब तेज प्रताप यादव को लालू यादव ने पार्टी और परिवार दोनों से बाहर कर दिया है। वजह बनी एक फेसबुक पोस्ट जिसमें तेज प्रताप एक युवती के साथ नजर आए। उस पोस्ट में युवती का नाम अनुष्का यादव बताया गया और दावा किया गया कि वे दोनों 12 साल से एक-दूसरे से प्यार करते हैं। पोस्ट वायरल होते ही बिहार की राजनीति में हलचल मच गई। बाद में तेज प्रताप ने दावा किया कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गया था और यह उनके खिलाफ साजिश है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
इस विवाद ने नया मोड़ तब लिया जब ये सामने आया कि तेज प्रताप यादव पहले से शादीशुदा हैं। उनकी शादी ऐश्वर्या राय से हुई थी और दोनों के बीच तलाक का केस कोर्ट में लंबित है। ऐसे में सोशल मीडिया पर उनकी और अनुष्का की नजदीकियों ने पूरे परिवार को मुश्किल में डाल दिया। इसी के बाद लालू यादव ने सामाजिक न्याय की दुहाई देते हुए तेज प्रताप को बाहर का रास्ता दिखा दिया। यानी न सिर्फ राजनीतिक रूप से बल्कि पारिवारिक रूप से भी उन्हें एक तरह से बहिष्कृत कर दिया गया।
इस बीच तेजस्वी यादव के घर भी खुशखबरी आई। उनकी पत्नी ने कोलकाता में एक बेटे को जन्म दिया और वे पिता बने। तेज प्रताप ने भी बड़े भाई बनने की खुशी जाहिर करते हुए उन्हें बधाई दी। लेकिन परिवार के भीतर तेज प्रताप को लेकर उठे इस विवाद की गूंज थमने का नाम नहीं ले रही है। तेज प्रताप की पोस्ट पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं – कुछ उन्हें मासूम मानते हैं, तो कुछ का कहना है कि वे हमेशा खुद ही अपने विवादों के जिम्मेदार रहे हैं।
वहीं अनुष्का यादव के भाई आकाश यादव का भी बयान सामने आया है। उन्होंने तेज प्रताप को पार्टी से निकाले जाने की निंदा की और कहा कि क्या तेज प्रताप ने कोई ऐसा अपराध किया है जो परिवार की बदनामी का कारण बनता है? उन्होंने कहा कि ये मामला पूरी तरह निजी है और इस पर सार्वजनिक बयानबाजी उचित नहीं। उनका मानना है कि अगर अनुष्का और तेज प्रताप कुछ बोलना चाहें तो वो खुद बोलें, लेकिन परिवार को इस तरह टूटते देखना दुखद है।
तेज प्रताप यादव का यह पूरा मामला एक बार फिर साबित करता है कि राजनीति में निजी जीवन किस हद तक सार्वजनिक हो जाता है, और कभी-कभी एक तस्वीर, एक पोस्ट किसी की पूरी दुनिया बदल सकती है। तेज प्रताप के राजनीतिक सफर की शुरुआत भले ही पारिवारिक विरासत से हुई हो, लेकिन आज वही विरासत उन्हें सबसे दूर कर रही है। सवाल ये भी उठता है कि क्या तेज प्रताप को परिवार ने जल्दबाजी में बाहर का रास्ता दिखा दिया या फिर ये फैसला सोच-समझकर लिया गया? क्या सच में ये एक हैकिंग की साजिश थी या एक भावनात्मक कदम? और अगर ये सब साजिश थी, तो इसके पीछे कौन है?
इस कहानी में जितना राजनीतिक ड्रामा है, उतना ही मानवीय दर्द भी है। एक बेटा अपने मां-बाप से दूरी महसूस कर रहा है, वो दुनिया के सामने अपनी भावनाएं उंडेल रहा है। ये पोस्ट किसी नेता का नहीं, एक बेटे का दिल है जो सिर्फ अपने मम्मी-पापा से जुड़ाव चाहता है। तेज प्रताप का ये बयान हमें ये भी सोचने पर मजबूर करता है कि राजनीति में रिश्तों की अहमियत क्या होती है। जब सबकुछ दांव पर हो, तो क्या सत्ता ही अंतिम सच होती है या फिर संबंध?
अब देखना ये है कि तेज प्रताप यादव की ये भावनात्मक अपील उनके रिश्तों में कोई सुधार लाती है या नहीं। क्या लालू यादव और राबड़ी देवी अपने बेटे को फिर से स्वीकार करेंगे या यह दूरी और गहराएगी? क्या राजद में तेज प्रताप की वापसी संभव है? आने वाले वक्त में इन सवालों के जवाब मिलेंगे, लेकिन फिलहाल तेज प्रताप का यह पोस्ट एक भावनात्मक दस्तावेज बन चुका है, जो हमें राजनीति के भीतर छिपे मानवीय पहलू को दिखाता है।
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