घिसा-पिटा ड्रामा फिर कर देना... Tejashwi ने खदेड़ा Nitish को !..
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बिहार में विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है और इसके साथ ही सियासी बयानबाजी भी तेज होती जा रही है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। तेजस्वी ने सोमवार सुबह-सुबह एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा करते हुए नीतीश सरकार पर तंज कसा। उनके इस पोस्ट में न सिर्फ एक तीखी टिप्पणी थी, बल्कि एक व्यंग्यात्मक पोस्टर भी था, जिसमें नीतीश कुमार का कार्टून नजर आ रहा था।
पोस्टर में एक व्यक्ति नीतीश कुमार से सवाल करता दिख रहा है— "अरे सर... चुनाव आ रहा है, काम धाम तो कुछ किए नहीं, 20 बरस खाली पलटिए मारते रह गए। जनता को क्या जवाब देंगे?" इस पर नीतीश कुमार जवाब देते हैं— "काम-धाम का कोई मतलब है? 2005 के पहले वाला ड्रामा इस बार भी कर देंगे, 20 साल से इसी पर तो खेल रहे हैं।" इस पोस्ट के साथ तेजस्वी ने लिखा— "काम-धाम से कोई मतलब है जी? जनता को भ्रमित करने के लिए 2005 से पहले वाला घिसा-घिसाया-आजमाया डायलॉग और घिसा-पिटा ड्रामा फिर कर देना है— श्री श्री नीतीश कुमार, मा. मुख्यमंत्री।"
तेजस्वी यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में चुनावी सरगर्मी चरम पर है। आरजेडी लगातार सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिश कर रही है और तेजस्वी यादव खुद जनता के बीच जाकर अपनी रणनीति को मजबूत कर रहे हैं। रविवार को उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और पासी समाज के नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक के बाद भी उन्होंने नीतीश सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में शराबबंदी के नाम पर दलित और अतिपिछड़े वर्ग के लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है, जबकि असली शराब माफिया और सत्ता से जुड़े लोग खुलेआम घूम रहे हैं।
तेजस्वी ने लिखा— "पासी समाज के लोगों और नेताओं ने एक स्वर में कहा कि सरकार और अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदेश में शराब का अवैध कारोबार दिन-दुगनी, रात-चौगुनी उन्नति कर रहा है। शराबबंदी के नाम पर दलित और अतिपिछड़े वर्ग को सबसे अधिक प्रताड़ित किया गया है। पुलिस और उत्पाद विभाग ने फर्जी शराबबंदी के नाम पर पासी समाज पर जुल्म और अत्याचार की सभी हदें पार कर दी हैं। हजारों लोग जेलों में बंद हैं, जो अपनी जमानत कराने में भी असमर्थ हैं।"
शराबबंदी के मुद्दे पर तेजस्वी ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि बिहार में जहरीली शराब के मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो रही, क्योंकि सत्ता पक्ष से जुड़े लोग ही इस कारोबार के हिस्सेदार हैं। उन्होंने कहा— "मुख्यमंत्री गरीब वर्गों के ऊपर कार्रवाई करते हैं, लेकिन जहरीली शराब बनाने वालों को नहीं पकड़ते, शराब माफिया को नहीं पकड़ते, क्योंकि सत्ताधारी नेता इस अवैध कारोबार में हिस्सेदार हैं।"
तेजस्वी यादव के इस बयान से साफ है कि वे चुनाव से पहले अपने कोर वोट बैंक को साधने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। बिहार में दलित, अतिपिछड़ा और गरीब तबके के वोट हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। आरजेडी इन वर्गों के समर्थन को और मजबूत करने के लिए लगातार अपने अभियान को धार दे रही है।
नीतीश कुमार की सरकार के लिए यह बयानबाजी एक नई चुनौती है। तेजस्वी जहां सरकार को शराबबंदी की नाकामी के मुद्दे पर घेर रहे हैं, वहीं एनडीए गठबंधन इसे लेकर कोई बड़ा जवाब देने की स्थिति में नहीं दिख रहा। बिहार में शराबबंदी को लागू करने के बाद से ही इस पर सवाल उठते रहे हैं। जहां सरकार इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताती रही है, वहीं विपक्ष इसे एक असफल प्रयोग करार देता रहा है।
अब चुनाव से ठीक पहले तेजस्वी ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। खासतौर पर पासी समाज, जो परंपरागत रूप से ताड़ी और शराब बनाने के काम में शामिल रहा है, उसके बड़े वर्ग का असंतोष सरकार के खिलाफ दिखाई दे रहा है। यह असंतोष चुनाव में किस तरह असर डालेगा, यह देखने वाली बात होगी।
वहीं, चुनावी मोर्चे पर एनडीए भी अपनी रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी जल्द ही सरकार का बजट पेश करने वाले हैं और इस बजट में जनता को लुभाने के लिए कई बड़े ऐलान किए जा सकते हैं। चर्चा यह भी है कि सरकार तेजस्वी के 'माई बहिन मान योजना' जैसे वादों को कमजोर करने के लिए महिलाओं के लिए किसी नई योजना की घोषणा कर सकती है।
बिहार की राजनीति में चुनाव से पहले जिस तरह के बयानबाजी और सियासी तीर चल रहे हैं, उससे यह साफ है कि यह चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ तेजस्वी यादव नीतीश सरकार की नीतियों को निशाने पर ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ एनडीए चुनावी समीकरण को साधने में जुटा है। अब देखना होगा कि जनता किसके पक्ष में अपना फैसला सुनाती है।
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