RCB की जीत का जश्न बना मातम,भगदड़ में गई 11 जानें,BCCI ने आयोजकों पर उठाए सवाल!
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आज हम बात करने जा रहे हैं उस घटना की जिसने पूरे बिहार को हिला कर रख दिया है। ये मामला सिर्फ एक बच्ची का नहीं है, ये मामला पूरे समाज की संवेदनाओं और हमारी नैतिकता पर सवाल खड़ा करता है। मुजफ्फरपुर में नौ साल की एक दलित बच्ची के साथ गैंगरेप किया गया और फिर उसकी बेरहमी से गला काटकर हत्या कर दी गई। सोचिए, उस मासूम की चीखें, उसका दर्द... क्या किसी ने सुना? और अगर सुना, तो क्या किया? ये घटना मानवता को शर्मसार कर देने वाली है।
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस मुद्दे पर बेहद गंभीर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि रेप जैसे मामलों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह समाज की नैतिकता से जुड़ा मुद्दा है। उनका कहना है कि जब तक समाज खुद ऐसे अपराधियों को तिरस्कृत नहीं करेगा, तब तक बदलाव संभव नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि नैतिकता किसी भी कानून से बड़ी होती है और ऐसे मामलों पर समाज को खड़ा होना पड़ेगा। राज्यपाल की बात सटीक है, लेकिन क्या हमारी व्यवस्था, हमारी प्रशासनिक मशीनरी और हमारी राजनीति इस सोच को अपनाएगी?
इस मुद्दे पर राजनीति भी गरमाई हुई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, बसपा सुप्रीमो मायावती और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सभी पीड़िता के परिवार से मिल चुके हैं। बयानबाज़ी तेज़ है, लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ बयान देने से न्याय मिल जाएगा? क्या हमारे नेताओं को अब जाकर एहसास हुआ कि बिहार की बेटियां कितनी असुरक्षित हैं?
सरकार ने अब पीड़िता के परिवार को आर्थिक मदद दी है। पहली किस्त के रूप में ₹4,12,650 रुपये पीड़ित परिवार के खाते में भेजे गए हैं। इसके अलावा पेंशन के रूप में ₹1,250 की राशि जून के लिए 4 जून को ही जारी कर दी गई है। लेकिन क्या इस पैसे से उस मां के आंसू सूख सकते हैं, जिसने अपनी बेटी को इस हालत में खोया है? क्या ये सहायता उस बच्ची की चीखें दबा सकती है जो आखिरी सांस तक जीने की उम्मीद लिए रोती रही होगी?
राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि सरकार पीड़ित परिवार के पुनर्वास और दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन सवाल यही है कि क्या यह प्रतिबद्धता सिर्फ कागज़ों तक सीमित है या वास्तव में धरातल पर भी उतरेगी? आज समाज एक गहरी नींद में सोया हुआ लगता है। जब तक किसी के अपने घर में आग नहीं लगती, तब तक वो जगा हुआ नहीं मानता।
लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर इस मामले पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इसे कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य तंत्र की असफलता बताया है। उनका कहना है कि जब तक प्रशासन और शासन के हर दोषी पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, तब तक न्याय अधूरा रहेगा। उन्होंने इस घटना की तुलना राज्य की गिरी हुई सामाजिक चेतना से की और अस्पताल प्रशासन पर भी सवाल उठाए। उनका यह भी कहना है कि पीएमसीएच के डॉक्टरों और स्टाफ की लापरवाही की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और दोषियों पर आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए।
इस पूरे मामले में एक बात बिल्कुल साफ है — हमारी बच्चियों की सुरक्षा के नाम पर जितनी योजनाएं बनीं, जितने वादे किए गए, वे सब बेमानी साबित हो रहे हैं। अगर वाकई कुछ करना है तो राजनीतिक दलों को एकजुट होकर ऐसे मामलों पर कड़ी नीति बनानी होगी। यह सिर्फ दलित समाज या महिलाओं की बात नहीं है, यह हर एक भारतीय की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे मामलों पर आंखें न मूंदे।
इस देश में जब कोई बच्ची रेप का शिकार होती है, तो वो सिर्फ कानून की विफलता नहीं होती, वो समाज की भी हार होती है। हमें अपने घरों, स्कूलों और गलियों को बेटियों के लिए सुरक्षित बनाना होगा। लेकिन ये तभी होगा जब प्रशासन चुस्त होगा, कानून सख्त होगा और समाज संवेदनशील होगा।
आज ज़रूरत है कि हम राजनीति से ऊपर उठकर, इस तरह की घटनाओं पर एकजुट हों। इस बच्ची को न्याय दिलाना हम सबकी जिम्मेदारी है। ये समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, बल्कि जवाबदेही का है। अगर आज हम चुप रहे, तो कल कोई और बच्ची इसी तरह का शिकार हो सकती है।
हमारी संवेदनाएं पीड़ित परिवार के साथ हैं, लेकिन सिर्फ संवेदनाएं काफी नहीं। हम चाहते हैं कि इस घटना के हर दोषी को न केवल सजा मिले, बल्कि सख्त से सख्त सजा मिले, ताकि कोई और वहशत करने से पहले सौ बार सोचे। और साथ ही सिस्टम की हर उस कड़ी पर भी कार्रवाई हो जो लापरवाह साबित हुई।
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