ऑपरेशन सिंदूर पर बयानबाज़ी से घमासान: कांग्रेस ने सरकार से मांगा जवाब,ट्रंप के दावे पर भी उठाए सवाल
YouTube video link....https://youtu.be/HGsVY_3_P7A
बड़ी राजनीतिक हलचल के बीच आज एक बार फिर ऑपरेशन सिंदूर चर्चा के केंद्र में है। इस बार निशाने पर हैं देश की रक्षा तैयारियां, और सवाल उठाए जा रहे हैं सीधे मोदी सरकार पर। मामला तब गर्माया जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के हालिया बयान सामने आए। जनरल चौहान ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष के दौरान भारत को कुछ नुकसान हुआ, और इस नुकसान की भरपाई के लिए रणनीति में बदलाव कर पाकिस्तान के भीतर तक हमला किया गया। हालांकि उन्होंने पाकिस्तान के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि छह भारतीय फाइटर जेट्स को मार गिराया गया। इसी बयान को लेकर अब विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने सीधा हमला बोलते हुए कहा कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संघर्ष विराम का श्रेय ले रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि आखिर सीजफायर के लिए क्या शर्तें तय की गई थीं। खेड़ा ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में रोज़ सवाल उठ रहे हैं—और उन सवालों में सबसे अहम है ट्रंप का यह दावा कि उनके दखल से भारत-पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध टल गया। खेड़ा ने सरकार से पूछा कि एक संप्रभु देश की विदेश नीति और रक्षा रणनीति के ऐसे अहम फैसलों की घोषणा कोई विदेशी राष्ट्रपति कैसे कर सकता है? साथ ही उन्होंने मांग की कि सरकार को देश के सामने आकर स्पष्ट करना चाहिए कि सीजफायर का फैसला कब और कैसे हुआ।
इस बीच कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने भी सवाल उठाया है कि जब हाल ही में रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में दो सर्वदलीय बैठकें हुई थीं, तब इन संवेदनशील मसलों पर जानकारी क्यों नहीं दी गई? जयराम रमेश ने कहा कि अगर जनरल अनिल चौहान सिंगापुर में इन बातों का खुलासा कर सकते हैं, तो फिर संसद का विशेष सत्र बुलाकर यह बात विपक्ष और देश की जनता के सामने क्यों नहीं रखी जा सकती थी? उनका तर्क है कि विपक्षी नेताओं के साथ रणनीतिक और रक्षा से जुड़ी ऐसी अहम जानकारी साझा की जानी चाहिए थी। जयराम रमेश ने इसे गंभीर चूक बताया है और सवाल किया है कि क्या सरकार जानबूझकर इन बातों को छिपा रही थी?
इस पूरे विवाद के केंद्र में एक और अंतरराष्ट्रीय चेहरा है—अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि उनकी व्यापार वार्ता और मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को टाला गया। उन्होंने कहा कि यह उनकी प्रशासनिक सफलता है। ट्रंप के इस दावे के बाद एक बार फिर बहस छिड़ गई है कि क्या भारत की विदेश नीति अब इतने निर्भर हो चुकी है कि एक विदेशी नेता हमारे सुरक्षा फैसलों का सेहरा अपने सिर बांध लें?
वहीं जनरल अनिल चौहान ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि शुरुआती नुकसान की जांच के बाद भारत ने पूरी ताकत से जवाबी हमला किया और पाकिस्तान के भीतर सटीक बमबारी की गई। उन्होंने कहा कि यह समझना ज़रूरी है कि विमान क्यों गिरे—और इस तकनीकी वजह को समझने के बाद रणनीति को सुधारकर भारत ने सैन्य ताकत का प्रभावी प्रदर्शन किया। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि चाहे तकनीकी कारण हों या रणनीतिक, सवाल यह है कि सरकार ने इन तथ्यों को अब तक छिपा कर क्यों रखा? विपक्ष का आरोप है कि सरकार केवल अपनी छवि चमकाने में लगी है और जब सच्चाई सामने आती है, तो सेना के माध्यम से बयान दिलवाकर जनता को भरोसे में लेने की कोशिश करती है।
सवाल ये भी उठता है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने जो आक्रामक रणनीति अपनाई, क्या उस पर राजनीतिक सहमति थी? क्या इसकी जानकारी संसद को दी गई थी? विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने सबकुछ एकतरफा तरीके से किया और विपक्षी दलों को सिर्फ दर्शक बना दिया गया। जयराम रमेश ने साफ कहा कि अगर इतनी अहम बातें सिंगापुर से सामने आ रही हैं, तो देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और पारदर्शिता का क्या मतलब रह गया है?
इस पूरी बहस ने एक बार फिर सुरक्षा और राजनीति के बीच की उस बारीक रेखा को चर्चा में ला दिया है, जिसे अक्सर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अपने-अपने हिसाब से खींचते हैं। लेकिन यह बात भी उतनी ही अहम है कि जब देश की सीमाओं पर तनाव होता है, जब जवान शहीद होते हैं, और जब विदेशों में हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार या सीडीएस बयान देते हैं, तो उस वक्त देश के भीतर एकजुटता और पारदर्शिता दोनों ज़रूरी होती है। फिलहाल, ऑपरेशन सिंदूर, सीजफायर की शर्तें, अमेरिकी दखल और सरकार की चुप्पी—इन तमाम सवालों का जवाब विपक्ष जानना चाहता है। लेकिन क्या ये जवाब मिलेंगे? या फिर सत्ता और विपक्ष के बीच ये रस्साकशी आगे और तेज़ होगी? आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद से लेकर सड़कों तक गरमाया रह सकता है।
0 Response to "ऑपरेशन सिंदूर पर बयानबाज़ी से घमासान: कांग्रेस ने सरकार से मांगा जवाब,ट्रंप के दावे पर भी उठाए सवाल"
एक टिप्पणी भेजें