Amit Shah का ममता बनर्जी पर बड़ा हमला: 'आतंकवादी मरे तो दीदी को हुआ दर्द, 2026 के बाद नहीं रहेंगी CM
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पश्चिम बंगाल दौरा एक बार फिर सियासी गर्मी ले आया है। कोलकाता में बीजेपी कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने ना केवल ममता बनर्जी के वोटबैंक की राजनीति पर सवाल उठाए बल्कि सीधे तौर पर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर घेरते हुए कहा कि आतंकवादियों के मारे जाने पर ‘दीदी के पेट में दर्द हो जाता है’। अमित शाह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर 100 किलोमीटर तक घुसकर आतंकियों के ठिकाने तबाह किए, 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए, लेकिन इस पर ममता बनर्जी ने विरोध जताया और राजनीतिक भाषण दिया। शाह ने इसे देश की करोड़ों महिलाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया और कहा कि बंगाल की महिलाएं चुनाव में इसका जवाब देंगी।
अमित शाह ने ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो बिना हिंसा के चुनाव लड़कर दिखाएं, जनता उनकी जमानत ज़ब्त करवा देगी। उनका कहना था कि ममता दीदी ने तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर दी हैं। अमित शाह ने इस मौके पर वक्फ अधिनियम का भी जिक्र किया और कहा कि इसमें गड़बड़ी है, और ममता बनर्जी इसके पक्ष में खड़ी होकर किसके हितों की रक्षा कर रही हैं? उन्होंने दो टूक कहा कि 2026 के बाद ममता बनर्जी मुख्यमंत्री नहीं रहेंगी।
गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी ने बांग्लादेशियों के लिए भारत की सीमाएं खोल दी हैं। उन्होंने कहा कि दीदी घुसपैठ को रोकना नहीं चाहतीं क्योंकि इससे उनका वोट बैंक बनता है। अमित शाह ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सीमा पर बाड़ लगाने के लिए जमीन मांगी थी, लेकिन ममता सरकार ने इन्कार कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि दीदी चाहती हैं कि घुसपैठ जारी रहे और सत्ता की चाबी उनके बाद उनके भतीजे को सौंप दी जाए, लेकिन यह योजना सफल नहीं होगी।
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए अमित शाह ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने बीएसएफ को तैनात नहीं होने दिया जबकि हालात बिगड़ते जा रहे थे। उन्होंने दावा किया कि बाद में कोर्ट के आदेश पर बीएसएफ को भेजा गया, जिन्होंने स्थिति को संभाला और हिंदुओं की रक्षा की। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता सरकार के मंत्री दंगाइयों को बढ़ावा दे रहे थे और एक तरह से यह राज्य प्रायोजित दंगा था।
साथ ही शाह ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने बार-बार बीएसएफ के सम्मान को ठेस पहुंचाई है, यहां तक कि उनके एक मंत्री ने बीएसएफ को गाली दी। शाह ने कार्यकर्ताओं से कहा कि यह लड़ाई सिर्फ बंगाल की नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, अस्मिता और संविधान के सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी बंगाल को वोटबैंक के आधार पर बांटना चाहती हैं, जबकि भाजपा सभी को साथ लेकर चलने की नीति पर काम कर रही है।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आतंकवाद के खिलाफ कठोर रुख अपनाए हुए है, और ऑपरेशन सिंदूर इसका एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन अभी खत्म नहीं हुआ है, और अगर कोई फिर से देश के खिलाफ साजिश करेगा तो उसे करारा जवाब मिलेगा।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अमित शाह ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब बंगाल की जनता को यह तय करना होगा कि वो दीदी की तुष्टिकरण वाली राजनीति को आगे बढ़ने देगी या राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के लिए भाजपा को मौका देगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास की भावना से काम कर रही है, जबकि ममता सरकार सिर्फ एक वर्ग को खुश करने की राजनीति कर रही है।
इस बैठक में अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को 2026 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में अभी से जुटने को कहा और दावा किया कि इस बार भाजपा बंगाल में सत्ता में आएगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे लोगों को बताएं कि किस तरह ममता सरकार ने विकास को रोक रखा है और बंगाल को कट्टरपंथ की ओर धकेला है।
अमित शाह के इस बयान के बाद बंगाल की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। भाजपा जहां इसे ममता बनर्जी की विफलताओं को उजागर करने वाला भाषण मान रही है, वहीं तृणमूल कांग्रेस के नेता शाह के इन बयानों को ‘भड़काऊ’ और ‘चुनावी स्टंट’ बता रहे हैं। हालांकि, यह तय है कि ऑपरेशन सिंदूर, वक्फ अधिनियम और घुसपैठ जैसे मुद्दों को लेकर बंगाल में एक बार फिर सियासी बहस तेज हो चुकी है और आने वाले दिनों में ये मुद्दे चुनावी प्रचार का मुख्य हिस्सा बन सकते हैं।
बहरहाल, अमित शाह का यह दौरा और उनके शब्द बंगाल में भाजपा के लिए एक नई चुनावी रणनीति की शुरुआत माने जा रहे हैं। अब देखना ये होगा कि ममता बनर्जी इस सियासी हमले का क्या जवाब देती हैं और क्या भाजपा इन बयानों के बल पर बंगाल की जनता का भरोसा जीत पाती है।
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