लैंड फॉर जॉब’ घोटाला: हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी, Lalu Yadav को राहत या बढ़ेगी मुश्किलें?
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**'लैंड फॉर जॉब' मामला: हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी, लालू यादव को राहत मिलेगी या बढ़ेगी मुश्किलें?**
दिल्ली हाई कोर्ट में आज राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बहुचर्चित 'लैंड फॉर जॉब' घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई पूरी हो गई। कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों से लेकर कानूनी विशेषज्ञों तक की निगाहें अब इसी बात पर टिकी हैं कि क्या लालू यादव को तकनीकी आधार पर राहत मिलेगी या सीबीआई की चार्जशीट और FIR पर आगे कार्रवाई होगी।
### मामला क्या है?
लालू यादव पर आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने 2004 से 2009 के बीच रेलवे के ग्रुप-डी पदों पर नियुक्तियों के बदले लोगों से जमीनें लीं। CBI ने इस मामले में 2020 में FIR दर्ज की और 2022 में चार्जशीट दाखिल की। आरोप पत्र में लालू यादव के साथ उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और परिवार के अन्य सदस्यों को भी आरोपी बनाया गया है।
### लालू यादव की दलीलें
लालू यादव ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर FIR और चार्जशीट को रद्द करने की मांग की है। उनकी ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पैरवी करते हुए कोर्ट में कहा कि इस मामले में CBI ने उनके खिलाफ जांच के लिए आवश्यक "संवैधानिक अनुमति" नहीं ली, जबकि अन्य आरोपियों के लिए अनुमति ली गई थी। सिब्बल ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लंघन है जिसमें लोकसेवकों के खिलाफ जांच से पहले अनुमति को अनिवार्य बताया गया है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 2004 से 2009 के बीच कोई FIR दर्ज नहीं की गई थी और क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल हो चुकी थी। ऐसे में 2020 में दोबारा FIR दर्ज करना कानून की भावना के खिलाफ है और इसे प्रताड़ना माना जाना चाहिए।
### CBI का पक्ष
CBI की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में कहा कि लालू यादव ने बतौर रेल मंत्री अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने बताया कि मंत्री के करीबियों ने भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित किया और नौकरियों के बदले जमीन ली गई, जो भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) की धारा 19 लागू होती है।
### परिवार पर भी शिकंजा
CBI ने अपनी चार्जशीट में 16 लोगों को आरोपी बनाया है, जिसमें लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी, बेटी और कुछ रेल मंत्रालय से जुड़े अधिकारी भी शामिल हैं। यह पूरा मामला रेल मंत्रालय में नियुक्तियों के दौरान हुए संभावित भ्रष्टाचार और लाभ के बदले व्यक्तिगत संपत्ति हासिल करने के आरोपों से जुड़ा है।
### राजनीतिक प्रतिक्रिया
राजद समर्थक इस पूरे मामले को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार CBI का दुरुपयोग कर रही है। वहीं बीजेपी और अन्य विपक्षी दल इस मामले को भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए कह रहे हैं कि कानून के तहत जांच और सजा दोनों होनी चाहिए।
### आगे क्या?
अब सबकी निगाहें दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले पर हैं जो तय करेगा कि क्या लालू यादव को तकनीकी आधार पर राहत मिलेगी या मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में आगे बढ़ेगी। फैसला अगर लालू यादव के पक्ष में आता है तो यह राजद के लिए बड़ी जीत होगी, खासकर चुनावी मौसम में। लेकिन अगर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, तो पूरा परिवार कानूनी शिकंजे में और गहराई से फंस सकता है।
**निष्कर्ष:**
‘लैंड फॉर जॉब’ मामला सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। आने वाले दिनों में कोर्ट का फैसला और उसके बाद की राजनीतिक हलचल यह तय करेगी कि यह मामला लालू परिवार के लिए राहत लेकर आएगा या परेशानी।
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