अपराध पर सियासत: तेजस्वी के वार पर JDU का आंकड़ों से पलटवार, बताया बिहार को सुशासन का मॉडल
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**बिहार में अपराध पर सियासत: तेजस्वी के आरोपों पर JDU का पलटवार, आंकड़ों के जरिए किया 'सुशासन' का दावा**
बिहार में अपराध को लेकर सियासत एक बार फिर गरमा गई है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए नीतीश सरकार पर कानून-व्यवस्था बिगड़ने का आरोप लगाया, लेकिन जवाब में जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने न सिर्फ इन आरोपों को खारिज किया, बल्कि आंकड़ों के साथ 'सुशासन मॉडल' की दुहाई भी दी।
JDU प्रवक्ता राजीव रंजन ने तेजस्वी के सवालों पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष छोटे-छोटे मुद्दों को बड़ा बना कर जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार में अपराध दर न सिर्फ राष्ट्रीय औसत से कम है, बल्कि कई प्रमुख राज्यों से बेहतर है।
एनसीआरबी की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में अपराध दर 277.1 प्रति एक लाख जनसंख्या है, जबकि देश का औसत 422.2 है। यानी बिहार की स्थिति दिल्ली, केरल, तमिलनाडु, राजस्थान जैसे राज्यों की तुलना में बेहतर है। राजीव रंजन ने यह भी जोड़ा कि 2013 में बिहार में IPC के तहत अपराध दर 166.3 थी, जो 2022 में बढ़कर केवल 168.1 हुई है। वहीं राष्ट्रीय औसत इसी दौरान 215.5 से 258.1 हो गया।
JDU प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि विपक्ष शराबबंदी कानून के तहत दर्ज मामलों को भी अपराध के आंकड़ों में जोड़कर जनता को गुमराह कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शराबबंदी कानून यानी SLL मामलों को हटा दिया जाए, तो बिहार में अपराध में वास्तविक वृद्धि केवल 1.8 अपराध प्रति एक लाख की दर से हुई है।
राजीव रंजन ने यह भी कहा कि बिहार सुशासन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, बिहार पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग पर सबसे अधिक खर्च करता है — प्रति पुलिसकर्मी ₹20,530, जो राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा है। वहीं महिला पुलिस की भागीदारी और आरक्षित वर्गों की नियुक्तियों के मामले में भी बिहार शीर्ष पर है। OBC के लिए आरक्षित पदों पर 143% और SC के लिए 102.9% की नियुक्ति हुई है।
उन्होंने कहा कि जिस बिहार में 2016 में राज्य के खिलाफ 207 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2022 में यह संख्या घटकर मात्र 34 रह गई है। यही नहीं, ऑन ड्यूटी पुलिसकर्मियों पर हमलों के मामलों में भी बिहार की स्थिति कई राज्यों से बेहतर है — जहां केरल में 265 और उड़ीसा में 202 पुलिसकर्मी घायल हुए, बिहार में यह संख्या सिर्फ 8 रही।
JDU का कहना है कि विपक्ष की चिंता सिर्फ चुनावी लाभ तक सीमित है, जबकि सरकार की प्राथमिकता कानून का शासन और जनविश्वास है। राजीव रंजन ने यह भी कहा कि अगर तेजस्वी यादव वाकई सुशासन पर बहस चाहते हैं, तो उन्हें केवल आलोचना नहीं, तथ्यों के साथ सामने आना चाहिए।
बिहार में विधानसभा चुनाव भले अभी दूर हों, लेकिन अपराध और विकास को लेकर बयानबाज़ी से साफ है कि राजनीतिक तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अब देखना यह है कि विपक्ष अगले मोर्चे पर क्या रणनीति अपनाता है और सत्ता पक्ष अपने 'सुशासन मॉडल' को कितनी मजबूती से आगे ले जा पाता है।
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