लालू परिवार पर ऐश्वर्या राय का दर्दनाक हमला, बोलीं– 'मेरी ज़िंदगी की बर्बादी की क्या कोई कीमत नहीं?

लालू परिवार पर ऐश्वर्या राय का दर्दनाक हमला, बोलीं– 'मेरी ज़िंदगी की बर्बादी की क्या कोई कीमत नहीं?


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**"क्या मुझे कभी न्याय मिलेगा?" — ऐश्वर्या राय की पुकार और लालू परिवार पर उठते सवाल**

बिहार की राजनीति इन दिनों एक बार फिर उस मोड़ पर आ खड़ी हुई है, जहां निजी जीवन और सार्वजनिक छवि के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेज प्रताप यादव और उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय के बीच का विवाद अब महज पारिवारिक मामला नहीं रहा। यह एक राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का विषय बन चुका है, जिसमें सवाल केवल एक विवाह या रिश्ते का नहीं, बल्कि न्याय, नैतिकता और महिला सम्मान का है।

हाल ही में एक प्रेस कांफ्रेंस में ऐश्वर्या राय ने लालू परिवार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने साफ शब्दों में पूछा, "सामाजिक न्याय की बात करने वाले लालू यादव मुझे कब न्याय देंगे?" यह सवाल बिहार की उस राजनीति के मुंह पर तमाचा है, जो वर्षों से पिछड़े, दलित और शोषित वर्गों की आवाज़ बनने का दावा करती आई है। लेकिन जब बात उनके अपने घर की बहू की आती है, तो वो चुप्पी साध लेते हैं

ऐश्वर्या का आरोप है कि तेज प्रताप यादव ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। खाने तक पर रोक लगाई गई, और जब उन्होंने विरोध किया, तो उनके चरित्र पर ही सवाल खड़े किए गए। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि तेज प्रताप और अनुष्का यादव के रिश्ते की जानकारी पहले से परिवार को थी, फिर भी उनके साथ विवाह करवाया गया। यह एक महिला के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है?

उन्होंने राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को भी कटघरे में खड़ा किया। उनका आरोप है कि जब उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था, तब पूरा परिवार चुप था। कोर्ट ने तेज प्रताप को घरेलू हिंसा में दोषी पाया, लेकिन मीडिया में यह खबर नहीं चलने दी गई। यह आरोप केवल एक पति पर नहीं, बल्कि उस पूरे सियासी ढांचे पर है जो अपनी छवि बचाने के लिए पीड़िता की आवाज़ को दबा देता है।


चुनावी मौसम में तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर करने की खबरें आईं, लेकिन ऐश्वर्या राय ने इसे भी "चुनावी ड्रामा" करार दिया। उनका कहना है कि सिर्फ सोशल मीडिया पर कुछ पंक्तियां लिख देने से कोई निष्कासित नहीं होता। दरअसल, यह पूरे परिवार की सोची-समझी रणनीति है ताकि जनता की नजरों में नुकसान कम हो और सियासी फायदे बरकरार रहें।


सबसे अहम बात यह है कि ऐश्वर्या राय ने खुद को आज भी लालू परिवार की बहू बताया और कहा कि जब तक कोर्ट से तलाक नहीं होता, वह इस रिश्ते में हैं। वह अपने हक और सम्मान के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। यह ऐलान महज किसी महिला का व्यक्तिगत संघर्ष नहीं, बल्कि उन तमाम महिलाओं की आवाज़ है जो प्रभावशाली परिवारों में भी न्याय से वंचित हैं।


ऐश्वर्या का दर्द सिर्फ उनका नहीं है। यह उन हजारों महिलाओं का प्रतीक है जिन्हें चुप रहने की सलाह दी जाती है, जिन्हें पारिवारिक ‘इज्ज़त’ के नाम पर दबा दिया जाता है। आज सवाल यह नहीं है कि तेज प्रताप यादव ने क्या किया, बल्कि यह है कि लालू यादव, जो वर्षों से 'सामाजिक न्याय' की राजनीति करते आए हैं, क्या अपनी बहू के साथ न्याय कर पाएंगे?


इस पूरे मामले ने बिहार की राजनीति को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। अब देखना यह है कि क्या राजद और लालू परिवार इस आरोप का जवाब देंगे, या फिर ऐश्वर्या की आवाज़ भी सियासी रणनीतियों के शोर में दबा दी जाएगी।


फिलहाल, ऐश्वर्या राय की यह पुकार पूरे देश के सामने गूंज रही है—"क्या मेरी ज़िंदगी की बर्बादी की कोई कीमत नहीं?" और यह सवाल केवल तेज प्रताप या लालू परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है।

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