सियोल में संजय झा की 'कोरियाई बिहारी' से मुलाकात, बिहारी अंदाज़ ने जीता दिल

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**पूर्व जेडीयू नेताओं के ठिकानों पर पुलिस की छापेमारी: नालंदा में अवैध हथियारों की आशंका से मचा हड़कंप**


नालंदा ज़िले में बुधवार को उस समय खलबली मच गई जब पुलिस ने भू-माफिया और पूर्व जेडीयू नेताओं बाबर मल्लिक और उनके भाई अकबर मल्लिक के ठिकानों पर एक बड़ी छापेमारी शुरू की। कार्रवाई का नेतृत्व स्वयं नालंदा के पुलिस अधीक्षक भारत सोनी कर रहे थे, जिन्होंने बताया कि उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि इन दोनों नेताओं के पास भारी मात्रा में अवैध हथियार छिपाए गए हैं। इसी आधार पर विशेष पुलिस टीमों का गठन कर एक साथ विभिन्न ठिकानों पर रेड की गई।


पुलिस की यह छापेमारी बिहार थाना इलाके के बैगनाबाद में सुबह से शुरू हुई और देर शाम तक चलती रही। कार्रवाई के दौरान सदर डीएसपी, लहेरी, सोहसराय और बिहार थाना के थानाध्यक्ष भी मौके पर मौजूद रहे। इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी जिससे आसपास के लोगों में तनाव और उत्सुकता दोनों देखने को मिली।


अब तक की जानकारी के अनुसार, छापेमारी के दौरान अवैध हथियारों की बरामदगी की संभावना जताई जा रही है, हालांकि पुलिस ने इसकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। एसपी भारत सोनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कुछ दिनों से लगातार इनपुट मिल रहे थे कि बाबर और अकबर मल्लिक एक संगठित आपराधिक गिरोह चला रहे हैं और अवैध हथियारों के धंधे में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि इस गिरोह से जुड़े अन्य संदिग्धों की पहचान की जा रही है और कार्रवाई का दायरा आगे भी बढ़ाया जा सकता है।


अकबर मल्लिक पर पूर्व में भी गंभीर आरोप लग चुके हैं। वे पहले ठगी, दंगा और आर्म्स एक्ट जैसे मामलों में जेल की सजा काट चुके हैं। इन्हीं आरोपों के चलते उन्हें जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि, उनके भाई बाबर मल्लिक अब भी जेडीयू के सक्रिय सदस्य बने हुए हैं, लेकिन पार्टी में उनका कोई आधिकारिक पद नहीं है।


जेडीयू की ओर से इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी प्रवक्ता डॉ. धनंजय देव ने कहा कि बाबर मल्लिक पार्टी के किसी पद पर नहीं हैं, लेकिन सक्रिय सदस्य हैं। वहीं अकबर मल्लिक को पहले ही पार्टी से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में कानून का राज सर्वोपरि है और कोई भी अपराधी, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून की पकड़ से नहीं बच सकता।


इस कार्रवाई को राज्य में अपराध के खिलाफ सख्ती के तौर पर देखा जा रहा है। यह छापेमारी एक संदेश है कि बिहार सरकार अब संगठित अपराध और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के मूड में है। फिलहाल पुलिस की जांच और पूछताछ जारी है, और आने वाले दिनों में कई और खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।

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