Tejashwi Yadav ने उठाये Pm Modi पे सवाल 365 दिन खाएँगे मखाना.......!
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बिहार की सियासत में बयानबाजी का दौर जारी है, और इस बार निशाने पर हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आगामी चुनावों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि अब वह 365 दिन मखाना खाएंगे। तेजस्वी के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई और भाजपा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। भाजपा नेताओं ने इसे बिहार और खासकर मिथिला के किसानों का अपमान बताया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने तेजस्वी यादव के इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मखाना सिर्फ बिहार की पहचान नहीं, बल्कि मिथिला क्षेत्र की प्रतिष्ठा भी है। उन्होंने आगे कहा कि बिहार के किसानों की मेहनत से मखाना आज देश-विदेश में अपनी खास पहचान बना चुका है, ऐसे में इस पर तंज कसना उनके परिश्रम का अपमान है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि तेजस्वी यादव को बिहार के कृषि उत्पादों का सम्मान करना चाहिए और मखाने को लेकर इस तरह की हल्की टिप्पणी करने से बचना चाहिए। उन्होंने तंज कसते हुए यह भी कहा कि अगर किसी को मखाने का मजाक उड़ाने की आदत है, तो कम से कम जानवरों का चारा तो न खाएं। भाजपा नेताओं का कहना है कि बिहार सरकार और केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन विपक्ष सिर्फ बयानबाजी तक सीमित है।
इसी कड़ी में बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने भी तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव केवल तंज कसने की राजनीति करते हैं, जबकि भाजपा बिहार के किसानों की आय बढ़ाने और उनके विकास के लिए लगातार काम कर रही है। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के किसानों को मखाने के रूप में एक बड़ा तोहफा दिया है। मखाने के उत्पादन और व्यापार से बिहार के किसानों को आर्थिक मजबूती मिली है और यह उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव को मखाने का मजाक उड़ाने के बजाय प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहिए, जिन्होंने बिहार के इस कृषि उत्पाद को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
बिहार में मखाना उत्पादन का अपना एक अलग महत्व है। मिथिला क्षेत्र के किसान वर्षों से मखाने की खेती करते आ रहे हैं और यह उनकी जीविका का एक अहम साधन है। हाल ही में बिहार के मखाने को जीआई टैग भी मिला है, जिससे इसकी ब्रांडिंग और बिक्री को और बढ़ावा मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने कई भाषणों में बिहार के मखाने की सराहना की है और इसे बढ़ावा देने की बात कही है। ऐसे में विपक्ष द्वारा इस पर तंज कसना किसानों के लिए अपमानजनक माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में चुनावी माहौल जैसे-जैसे गरमाएगा, ऐसे बयानों का सिलसिला और तेज होगा। भाजपा जहां इसे बिहार के किसानों के आत्मसम्मान से जोड़कर देख रही है, वहीं राजद इसे महज एक राजनीतिक कटाक्ष बता रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि मखाना बिहार के किसानों के लिए सिर्फ एक खाद्य उत्पाद नहीं, बल्कि उनकी आजीविका का अहम स्रोत है। ऐसे में इस तरह की बयानबाजी पर सियासी घमासान और बढ़ सकता है।
अब देखना यह होगा कि तेजस्वी यादव अपने इस बयान पर कोई सफाई देते हैं या नहीं। वहीं, भाजपा इसे चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। बिहार की राजनीति में यह मुद्दा कितना प्रभावी साबित होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल मखाने पर छिड़ी यह सियासी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही।
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