लालू यादव हटेंगे अध्यक्ष पद से बिहार की राजनीति में नया मोड़?.....
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**"तेजस्वी के ‘टायर्ड-रिटायर्ड’ बयान पर सियासी घमासान, बीजेपी ने किया तीखा पलटवार"**
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। शब्दों के तीर लगातार चल रहे हैं और राजनीतिक दल एक-दूसरे पर तीखे प्रहार कर रहे हैं। बुधवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा कि बिहार देश का सबसे युवा प्रदेश है, यहां सबसे ज्यादा युवा रहते हैं, इसलिए अब यहां **"टायर्ड और रिटायर्ड"** मुख्यमंत्री नहीं चाहिए। उन्होंने सरकार को **"खटारा"**, सिस्टम को **"नकारा"** और मुख्यमंत्री को **"थका-हारा"** बताया। तेजस्वी ने कहा कि रिटायरमेंट की उम्र 60 साल होती है, फिर बिहार को 75 साल का मुख्यमंत्री क्यों चाहिए?
तेजस्वी के इस बयान पर बीजेपी ने तीखा पलटवार किया। बीजेपी नेता अजय आलोक ने कहा कि अगर तेजस्वी को बुजुर्ग नेताओं से इतनी ही दिक्कत है, तो उन्हें सबसे पहले अपने पिता लालू यादव को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष पद से हटाना चाहिए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि तेजस्वी यादव को पहले अपने घर में देखना चाहिए, फिर दूसरों पर निशाना साधना चाहिए। अगर वह सच में वरिष्ठ नेताओं को हटाने की वकालत कर रहे हैं, तो पहले लालू यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाएं और अपनी मां राबड़ी देवी को भी सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त करें।
बीजेपी ने तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने के सपने पर भी तंज कसा। अजय आलोक ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के लिए अनुभव और योग्यता चाहिए, केवल **"मुंगेरीलाल के हसीन सपने"** देखने से कुछ नहीं होता। उन्होंने कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है। वर्तमान में नीतीश कुमार के नेतृत्व में मजबूत सरकार चल रही है और अगली सरकार भी उन्हीं के नेतृत्व में बनेगी। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के लिए अंदरखाने भारी खींचतान चल रही है, जो अब खुलकर सामने आ रही है।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि अगर तेजस्वी यादव को उम्र की इतनी चिंता है, तो उन्हें यह भी बताना चाहिए कि लालू यादव को आरजेडी अध्यक्ष क्यों बनाए रखा गया है? क्या तेजस्वी में अब भी पार्टी संभालने की योग्यता नहीं है, इसलिए लालू यादव अध्यक्ष बने हुए हैं? उन्होंने कहा कि जब तेजस्वी अपने पिता को नहीं हटा सकते, तो दूसरे वरिष्ठ नेताओं पर टिप्पणी करने का उन्हें कोई हक नहीं है।
महागठबंधन पर भी निशाना साधते हुए अजय आलोक ने कहा कि विपक्षी गठबंधन में मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं। अंदर ही अंदर संघर्ष चल रहा है कि आखिर मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा। हालांकि, हकीकत यह है कि बिहार में एनडीए की सरकार ही बनेगी और महागठबंधन के नेताओं को निराशा हाथ लगेगी।
बिहार की राजनीति में यह बयानबाजी नया मोड़ ले चुकी है। जहां एक ओर तेजस्वी यादव सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं, वहीं बीजेपी और जेडीयू उन्हें मुंहतोड़ जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। चुनावी माहौल जैसे-जैसे गरमाएगा, वैसे-वैसे यह सियासी घमासान और तेज होने की संभावना है।
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