विधानसभा में गरजी स्पीकर की आवाज़ - जब मंत्री जी से पूछा छात्रावास का सवाल, तो जवाब देने में छूट गए पसीने !
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**विधानसभा में गरजी स्पीकर की आवाज़ – जब मंत्री जी से पूछा छात्रावास का सवाल, तो जवाब देने में छूट गए पसीने!**
बिहार विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन सदन में ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जिसने सभी को चौंका दिया। स्पीकर नंदकिशोर यादव ने बीजेपी मंत्री हरि सहनी को फटकार लगाई और उनकी ओर से दिए गए जवाब को नाकाफी मानते हुए सवाल को स्थगित कर दिया। यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब आरजेडी विधायक अवध बिहारी चौधरी ने सरकार से एक अहम सवाल पूछा।
### **छात्रावास के मुद्दे पर टला जवाब**
विधानसभा में जब अवध बिहारी चौधरी ने सरकार के पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग से यह जानना चाहा कि **"सीवान जिले में पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए कोई छात्रावास है या नहीं? अगर नहीं है, तो सरकार इसे बनाने के लिए क्या योजना बना रही है?"** तब पूरे सदन की नज़र मंत्री के जवाब पर टिक गई। लेकिन जैसे ही मंत्री हरि सहनी ने जवाब देना शुरू किया, मामला उलझ गया। उनका उत्तर स्पष्ट नहीं था, जिससे सदन में असंतोष फैल गया।
### **स्पीकर की फटकार से सन्नाटे में मंत्री**
मंत्री की तरफ से दिए गए जवाब से स्पीकर नंदकिशोर यादव भी संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने सख्त लहजे में मंत्री को टोका और कहा कि **"अगर सरकार के पास इस मुद्दे पर कोई ठोस योजना नहीं है, तो बिना तैयारी के जवाब देने से बेहतर है कि इस पर स्पष्ट रिपोर्ट सदन में पेश की जाए!"** स्पीकर के इस कड़े रवैये के बाद सदन में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया।
### **राजनीतिक माहौल गरमाया, विपक्ष ने साधा निशाना**
जैसे ही यह मामला तूल पकड़ा, विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। आरजेडी और कांग्रेस के विधायकों ने आरोप लगाया कि **"सरकार पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के छात्रों के भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है, इसलिए छात्रावास जैसी बुनियादी सुविधा पर भी कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रही है।"**
### **सरकार के बचाव में आई बीजेपी**
वहीं, बीजेपी नेताओं ने इस मामले पर सफाई दी। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि **"सरकार छात्रावास निर्माण को लेकर प्रतिबद्ध है, लेकिन इस पर पूरी रिपोर्ट तैयार करने के बाद ही सदन में विस्तृत जवाब दिया जाएगा।"**
### **जनता के बीच क्या संदेश?**
इस पूरे घटनाक्रम के बाद जनता में भी सवाल उठने लगे हैं कि **"अगर सरकार के पास छात्रावास निर्माण को लेकर कोई ठोस योजना नहीं है, तो यह पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ अन्याय है!"**
अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले को किस तरह संभालती है और क्या आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा या फिर यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी बनकर रह जाएगा?
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