पटना में लाल क्रांति! गांधी मैदान में भाकपा माले का महाजुटान,क्या बिहार में सत्ता परिवर्तन की दस्तक?

पटना में लाल क्रांति! गांधी मैदान में भाकपा माले का महाजुटान,क्या बिहार में सत्ता परिवर्तन की दस्तक?


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### **पटना में लाल क्रांति! गांधी मैदान में भाकपा माले का महाजुटान, क्या बिहार में सत्ता परिवर्तन की दस्तक?**  

**पटना:** बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आता दिख रहा है। राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आज का दिन राजनीतिक हलचल से भरा रहा। भाकपा (माले) ने यहां महाजुटान का आयोजन किया, जिसने पूरे राज्य का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। रात से ही समर्थकों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था, और सुबह होते-होते गांधी मैदान लाल झंडों से पट चुका था। वामपंथी दलों के इस विशाल शक्ति प्रदर्शन में हर तबके के लोगों ने अपनी भागीदारी दिखाई।  

### **क्या बिहार में बदलाव की लहर?**  

इस महाजुटान का नारा था— *“बदलो बिहार”*, और इसके जरिए भाकपा माले ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव में वे पूरी मजबूती से उतरने वाले हैं। पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि यह सिर्फ एक रैली नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। उन्होंने दावा किया कि बिहार की जनता डबल इंजन सरकार से तंग आ चुकी है और अब बदलाव चाहती है।  

### **गांधी मैदान में उमड़ा जनसैलाब!**  

महाजुटान में बिहार के हर कोने से लोग पहुंचे। शाहाबाद, मगध, तिरहुत, मिथिलांचल, सीमांचल और अंग प्रदेश से हजारों समर्थकों को बसों में भरकर लाया गया। कार्यक्रम में माले महासचिव **दीपंकर भट्टाचार्य**, वरिष्ठ नेता **स्वदेश भट्टाचार्य** समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे। मंच पर विभिन्न जनसंगठनों के प्रतिनिधि भी थे, जिन्होंने बिहार की मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए बदलाव की मांग की।  

### **डबल इंजन सरकार पर करारा वार!**  

माले नेताओं ने मंच से सीधा हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में डबल इंजन सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है। गरीबों, मजदूरों और किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। सरकार की नीतियों से बेरोजगारी बढ़ी है, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हो चुकी है। यही कारण है कि जनता अब इस सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए तैयार हो रही है।  

### **क्या बदलेगा बिहार का सियासी समीकरण?**  

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाकपा माले की यह रैली बिहार के चुनावी समीकरणों पर असर डाल सकती है। वामदलों ने हाल के वर्षों में अपनी पकड़ मजबूत की है और यदि जनता का समर्थन इसी तरह बढ़ता रहा, तो आगामी चुनाव में एक नई राजनीतिक तस्वीर देखने को मिल सकती है।  

### **महाजुटान के मायने—क्या है आगे की रणनीति?**  

माले नेताओं ने साफ कर दिया कि यह महाजुटान सिर्फ एक शुरुआत है। अब गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा और सरकार की नाकामियों को उजागर किया जाएगा। उनका लक्ष्य है कि बिहार को एक नया नेतृत्व मिले, जो गरीबों और किसानों के हक में फैसले ले।  

### **अगले चुनाव पर गहरा असर!**  

राजनीतिक गलियारों में इस महाजुटान की चर्चा जोरों पर है। क्या भाकपा माले बिहार की सत्ता में बदलाव ला पाएगी? क्या जनता इस बार किसी नए विकल्प को मौका देगी? यह सवाल अब हर किसी के दिमाग में घूम रहा है। जो भी हो, लेकिन एक बात तो तय है—बिहार की राजनीति में लाल झंडे ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है और अब सत्ता के गलियारों में बेचैनी बढ़ने लगी है!

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