क्या तेजस्वी के पिटारे से कोई तीर छोडेंगे सम्राट चौधरी बजट में होने वाला है घमासान ?....

क्या तेजस्वी के पिटारे से कोई तीर छोडेंगे सम्राट चौधरी बजट में होने वाला है घमासान ?....


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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक अखाड़े में घमासान तेज हो चुका है। राज्य की सत्ता में काबिज एनडीए गठबंधन की सरकार अपने आखिरी बजट की तैयारी में जुटी है, जिसे उप-मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सम्राट चौधरी पेश करने जा रहे हैं। इस बजट को सिर्फ आर्थिक आंकड़ों तक सीमित न रखकर चुनावी मोर्चे पर भी इस्तेमाल करने की रणनीति बनाई जा रही है। वहीं, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पहले ही अपने चुनावी तरकश से कई तीर छोड़ दिए हैं, जिनका असर इस बजट पर साफ देखने को मिल सकता है।  

राजद नेता तेजस्वी यादव लगातार बिहार के दौरे पर हैं और अपने चुनावी वादों से जनता के बीच पैठ बनाने में जुटे हैं। उनके प्रमुख वादों में ‘माई बहिन मान योजना’ सबसे ज्यादा चर्चा में है, जिसके तहत वे महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये देने का दावा कर रहे हैं। हाल ही में कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में महिला मतदाताओं को ध्यान में रखकर नकद सहायता योजनाओं का फायदा सत्ताधारी दलों को मिला है, इसलिए नीतीश सरकार भी इस दिशा में कोई बड़ा दांव खेल सकती है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सम्राट चौधरी अपने बजट में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए किसी नई योजना की घोषणा कर सकते हैं, जिससे तेजस्वी के इस वादे की धार कमजोर हो सके।  

तेजस्वी यादव को इस बात का पूरा अंदाजा है कि नीतीश कुमार अपनी सरकार बचाने के लिए इस बार कोई भी बड़ा फैसला लेने से नहीं हिचकेंगे। यही वजह है कि सम्राट चौधरी के बजट पेश करने से पहले ही तेजस्वी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी मांगों की पूरी लिस्ट जारी कर दी, जो कहीं न कहीं राजद की चुनावी रणनीति को भी दर्शाती है।  


वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन और दिव्यांगजन पेंशन मौजूदा 400 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये करने की मांग की गई है। 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की योजना लागू करने पर जोर दिया गया है। जाति आधारित सर्वे में मिले 94 लाख गरीब परिवारों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की बात रखी गई है। ‘माई बहिन मान योजना’ की तर्ज पर महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता की मांग की गई है।  


तेजस्वी ने सरकार पर तंज कसते हुए यहां तक कह दिया कि अगर सरकार उनकी योजनाओं की ‘नकल’ करना चाहती है, तो खुशी-खुशी करे, बस जनता को इसका लाभ मिलना चाहिए।  


नीतीश सरकार के लिए इस बार का बजट सिर्फ एक सांकेतिक बजट नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा भी रहेगा। वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार ने कुल 3.58 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, जो कि तीन हिस्सों में आया था— मूल बजट 2.78 लाख करोड़, मॉनसून सत्र में 47,512 करोड़ का अनुपूरक बजट और शीतकालीन सत्र में 32,507 करोड़ का अतिरिक्त बजट। इस बार भी बजट का आकार 3 लाख करोड़ के आसपास रहने की संभावना है, लेकिन असली खेल इस बजट की नीतियों और योजनाओं में होगा।  


विशेषज्ञों का मानना है कि बजट में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और महिलाओं के सशक्तिकरण को प्रमुखता दी जा सकती है। बिहार सरकार मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, छात्रवृत्ति और स्वरोजगार योजनाओं में भी बड़े बदलाव कर सकती है ताकि चुनाव से पहले युवाओं और महिलाओं को आकर्षित किया जा सके।  


अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि सम्राट चौधरी अपने बजट भाषण में तेजस्वी के कितने वादों को सरकार की योजनाओं में समेटते हैं और कितने को दरकिनार करते हैं। अगर सरकार तेजस्वी के घोषणापत्र में शामिल बड़ी योजनाओं को अपने बजट में समाहित कर लेती है, तो इससे राजद की रणनीति को तगड़ा झटका लग सकता है।  


दूसरी ओर, अगर सरकार बजट में इस तरह की लोकलुभावन घोषणाएं नहीं करती, तो विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर प्रचार करेगा कि एनडीए सरकार जनता के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। ऐसे में इस बजट को सिर्फ एक वार्षिक वित्तीय दस्तावेज न मानकर बिहार चुनाव की पृष्ठभूमि तैयार करने वाला बड़ा हथियार भी माना जा रहा है।  


बिहार में चुनावी हलचल लगातार तेज हो रही है और आने वाले हफ्तों में बजट, चुनावी घोषणाएं और सियासी बयानबाजी इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य को और गरमाने वाली है। नीतीश कुमार के सामने इस बार सत्ता बचाने की सबसे कठिन चुनौती है, और उनके रणनीतिकार हर दांव सोच-समझकर खेलना चाहेंगे।  


अब देखना होगा कि सम्राट चौधरी का बजट एनडीए के लिए संजीवनी साबित होता है या तेजस्वी यादव के मुद्दों को और हवा देने का काम करता है!

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