कभी नीतीश के सिपाही,अब बीजेपी के सेनानी!जानिए कौन हैं कृष्ण कुमार मंटू,जो बने बिहार सरकार में मंत्री
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### **कभी नीतीश के सिपाही, अब बीजेपी के सेनानी! जानिए कौन हैं कृष्ण कुमार मंटू, जो बने बिहार सरकार में मंत्री**
बिहार की राजनीति में एक नाम इन दिनों खूब चर्चा में है— **कृष्ण कुमार मंटू**। कभी मुख्यमंत्री **नीतीश कुमार** की पार्टी **जेडीयू** के भरोसेमंद नेता रह चुके मंटू अब **बीजेपी** के कद्दावर नेता बन चुके हैं। ताजा मंत्रिमंडल विस्तार में **भाजपा कोटे से उन्हें मंत्री बनाया गया है**। लेकिन उनकी राजनीतिक यात्रा इतनी सीधी नहीं रही। एक समय वह **नीतीश कुमार के करीबी** थे, फिर **राजीव प्रताप रूडी** के समर्थन से बीजेपी में आए और अब **मंत्री पद तक पहुंच गए हैं**। तो आइए जानते हैं कौन हैं कृष्ण कुमार मंटू और उनकी राजनीति का सफर कैसा रहा।
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### **छात्र राजनीति से लेकर बिहार सरकार के मंत्री तक का सफर**
कृष्ण कुमार मंटू **कुर्मी जाति से आते हैं और एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं**। छात्र जीवन से ही उनकी राजनीति में रुचि रही। राजनीति में पहला कदम उन्होंने **पंचायत स्तर पर मुखिया बनने के साथ रखा**। इसके बाद वह क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाते गए और धीरे-धीरे बड़े राजनीतिक मंच पर उभरने लगे।
**2010 में पहली बार अमनौर सीट से जेडीयू के टिकट पर विधायक बने।** यह वही दौर था जब नीतीश कुमार की पकड़ बिहार की राजनीति में सबसे मजबूत थी। हालांकि, **2015 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा** और उनकी राजनीतिक राह मुश्किल होने लगी। लेकिन यह कहानी का अंत नहीं था!
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### **बीजेपी में एंट्री और दोबारा मिली जीत**
2015 में हार के बाद, **कृष्ण कुमार मंटू को केंद्रीय मंत्री और सारण से सांसद राजीव प्रताप रूडी का करीबी माना जाने लगा**। 2020 के चुनाव से पहले, **उन्होंने जेडीयू छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया**। बीजेपी ने उन्हें अमनौर से टिकट दिया और **इस बार उन्होंने जबरदस्त जीत दर्ज की**। यह जीत सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं थी, बल्कि बिहार की राजनीति में **उनकी मजबूत वापसी का ऐलान थी**।
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### **पटेल समाज में मजबूत पकड़, कुर्मी वोट बैंक में पकड़ मजबूत**
कृष्ण कुमार मंटू **पटेल छात्रावास निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं**, जो पटेल समाज के छात्रों के लिए हॉस्टल बनवाने का काम करता है। इसी महीने पटना में हुई **‘कुर्मी एकता रैली’** में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी, जिससे साफ हो गया कि बिहार में कुर्मी राजनीति में उनकी पकड़ मजबूत होती जा रही है।
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### **नीतीश सरकार में मंत्री बनने की बड़ी वजह**
नीतीश कुमार और बीजेपी के गठबंधन के बाद, बिहार में सत्ता संतुलन का खेल फिर से शुरू हुआ। मंत्रिमंडल विस्तार में **बीजेपी ने जातीय समीकरणों को साधते हुए मंटू को मंत्री पद दिया**। बीजेपी को कुर्मी समाज में एक मजबूत चेहरा चाहिए था, और **कृष्ण कुमार मंटू इसके लिए परफेक्ट साबित हुए**।
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### **क्या यह मंटू की राजनीति का नया अध्याय है?**
अब जब कृष्ण कुमार मंटू मंत्री बन चुके हैं, सवाल यह है कि **क्या यह उनकी राजनीति का शिखर है या अभी और आगे बढ़ना बाकी है?** बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण बहुत मायने रखते हैं और मंटू की बढ़ती लोकप्रियता इस ओर इशारा कर रही है कि **वह आने वाले समय में और बड़ी भूमिका में नजर आ सकते हैं**।
बिहार की राजनीति में **'कभी नीतीश के सिपाही, अब बीजेपी के सेनानी'** बने कृष्ण कुमार मंटू का यह सफर जितना दिलचस्प है, उतना ही राजनीति के उतार-चढ़ाव को दिखाने वाला भी!
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