ममता बनर्जी की बड़ी कार्रवाई: TMC से बाहर हुए पूर्व सांसद शांतनु सेन और विधायक अराबुल इस्लाम
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**ममता बनर्जी की बड़ी कार्रवाई: TMC से बाहर हुए पूर्व सांसद शांतनु सेन और विधायक अराबुल इस्लाम**
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के दो प्रमुख नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। तृणमूल कांग्रेस ने पूर्व राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन और भांगड़ के विधायक अराबुल इस्लाम को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निलंबित किया है। यह कार्रवाई पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा की गई है और इसका संबंध आरजी कर कांड से है, जिसमें इन दोनों नेताओं का नाम सामने आया था।
शांतनु सेन और अराबुल इस्लाम को निलंबित करने के कारण
शांतनु सेन, जो पहले तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता भी रह चुके थे, ने हाल ही में आरजी कर कांड पर तीखा रुख अपनाया था। उन्होंने इस मामले में पार्टी नेतृत्व की नीतियों पर सवाल उठाए थे, जिसे पार्टी के उच्च नेताओं ने सही नहीं माना। इसके बाद उन्हें आरजी कर रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था और फिर पार्टी के प्रवक्ता पद से भी बर्खास्त कर दिया गया था। अब उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया है।
वहीं, अराबुल इस्लाम, जो भांगड़ क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुने गए थे, भी अपनी पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए थे। हाल ही में उनके और पार्टी के विधायक शौकत मोल्ला के बीच तीखी कहासुनी हुई थी, जो पार्टी के लिए परेशानी का कारण बनी। अराबुल पर पहले भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लग चुके थे और इससे पहले उन्हें छह साल के लिए निलंबित किया गया था, लेकिन बाद में तृणमूल कांग्रेस ने उनका निलंबन वापस ले लिया था।
हालांकि, हाल ही में अराबुल और शौकत मोल्ला के बीच की कहासुनी के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया कि ऐसे पार्टी विरोधी व्यवहार को कतई सहन नहीं किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, अराबुल इस्लाम को फिर से निलंबित कर दिया गया और पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि पार्टी के अंदर एकजुटता और अनुशासन का पालन किया जाना चाहिए।
शांतनु सेन और अराबुल इस्लाम की प्रतिक्रिया
तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किए जाने के बाद शांतनु सेन ने मीडिया से बात करते हुए अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी पार्टी या सरकार के खिलाफ कोई भी कदम नहीं उठाया। उनका कहना था कि जो भी उन्होंने कहा और किया वह सिर्फ पार्टी और सरकार की भलाई के लिए था। सेन ने अपनी निलंबन को एक गलत निर्णय बताते हुए यह दावा किया कि उन्होंने हमेशा पार्टी के हित में काम किया है और पार्टी के फैसलों पर खुलकर अपनी राय दी थी।
अरबुल इस्लाम ने भी अपनी निलंबन पर प्रतिक्रिया दी, लेकिन उन्होंने इस विषय में कोई गंभीर बयान नहीं दिया। हालांकि, सूत्रों के अनुसार उन्होंने पार्टी की अंदरूनी राजनीति को लेकर अपनी नाराजगी जताई है और भविष्य में अपनी राह खुद चुनने की बात की है।
पार्टी की प्रतिक्रिया
तृणमूल कांग्रेस ने पार्टी के अंदर अनुशासन बनाए रखने के लिए इन दोनों नेताओं के खिलाफ यह कदम उठाया है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि अगर इस प्रकार की अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त किया गया, तो इससे पार्टी की छवि और संगठन दोनों को नुकसान हो सकता है। ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया है कि पार्टी के अंदर एकजुटता और अनुशासन को बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
निष्कर्ष
ममता बनर्जी की यह कार्रवाई तृणमूल कांग्रेस के अंदर के अंदरूनी मतभेदों और अनुशासनहीनता को लेकर एक कड़ा संदेश देती है। यह राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह चेतावनी मिलती है कि पार्टी की एकजुटता और अनुशासन की कोई भी कीमत हो सकती है। पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों को लेकर यह कार्रवाई अहम हो सकती है क्योंकि पार्टी अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए किसी भी तरह की अंदरूनी कलह को बर्दाश्त नहीं कर सकती।
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