संभल के कुएं और तीर्थों का पुनर्निर्माण : संरक्षित इतिहास से आधुनिक पर्यटन तक

संभल के कुएं और तीर्थों का पुनर्निर्माण : संरक्षित इतिहास से आधुनिक पर्यटन तक


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संभल के कुएं और तीर्थों का पुनर्निर्माण : संरक्षित इतिहास से आधुनिक पर्यटन तक"

संभल जिले में प्राचीन तीर्थों और कुओं के सौंदर्यीकरण के लिए प्रशासन ने एक महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया है। गुरुवार को इस अभियान के तहत डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने संभल और पवांसा ब्लॉक में स्थित 68 प्राचीन तीर्थ स्थलों और 19 कुओं का निरीक्षण किया। इनमें प्रमुख थे: चतुर्मुख कुआँ, अशोक कुआँ, चतुर्थ सागर, एकांती तीर्थ, और शंख माधव।


इस निरीक्षण के दौरान डॉ. पैंसिया ने इन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने विशेष रूप से एकांती तीर्थ, चतुर्थ सागर और शंख माधव के सौंदर्यीकरण को प्राथमिकता दी और संबंधित अधिकारियों को चहारदीवारी और मार्ग निर्माण सुनिश्चित करने का आदेश दिया। इसके अलावा, उन्होंने लेखपालों से भूमि की मापदंड कर स्थिति स्पष्ट करने और अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया, ताकि इन स्थलों का सौंदर्यीकरण हो सके।

अशोक कुआँ के मामले में जिलाधिकारी ने कहा कि यह कुआँ अन्य कुओं की तुलना में काफी अच्छा स्थिति में है, लेकिन फिर भी इसे वंदन योजना के तहत पुनरुद्धार किया जाएगा। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित तीर्थों और कुओं के संरक्षण के लिए मनरेगा और ग्राम निधि के माध्यम से कार्य किए जाएंगे, जबकि नगरीय क्षेत्रों में इनका पुनरुद्धार नगरपालिका और वंदन जैसी योजनाओं से होगा।

इस पहल का उद्देश्य केवल इन धरोहरों का संरक्षण नहीं, बल्कि क्षेत्र के धार्मिक और पर्यटन महत्व को भी बढ़ाना है। जिलाधिकारी ने कहा कि संभल की यह ऐतिहासिक धरोहरें हमारी सांस्कृतिक पहचान हैं और इनका पुनरुद्धार पूरे क्षेत्र के विकास में सहायक होगा।

इस अभियान के तहत डॉ. मणिभूषण तिवारी और ओंकार सिंह सहित कई अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस ऐतिहासिक पहल को सफल बनाने में सहयोग किया। 

संभल की इन धरोहरों का संरक्षण और पुनरुद्धार ना केवल ऐतिहासिक महत्व को पुनः स्थापित करेगा, बल्कि इसे एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल भी बना देगा, जो दूर-दूर से पर्यटकों को आकर्षित करेगा।

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