पीएम मोदी ने नीतीश को कहा ‘हमारे लाडले मुख्यमंत्री’,मंच से हुई दोस्ती की नई शुरुआत या चुनावी रणनीति?

पीएम मोदी ने नीतीश को कहा ‘हमारे लाडले मुख्यमंत्री’,मंच से हुई दोस्ती की नई शुरुआत या चुनावी रणनीति?


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# **बिहार की सियासत में नया मोड़! पीएम मोदी ने नीतीश को कहा ‘हमारे लाडले मुख्यमंत्री’, दोस्ती की नई शुरुआत या चुनावी रणनीति?**  

बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बढ़ती नजदीकियां सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गई हैं। भागलपुर में आयोजित किसान सम्मान जनसभा के दौरान पीएम मोदी ने नीतीश कुमार को ‘हमारे लाडले मुख्यमंत्री’ कहकर संबोधित किया, जिससे राजनीतिक अटकलों का बाजार गरम हो गया है।  

## **पीएम मोदी और नीतीश की ट्यूनिंग क्यों चर्चा में?**  

कई बार भाजपा और जदयू के रिश्तों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। नीतीश कुमार कभी भाजपा के साथ होते हैं, तो कभी महागठबंधन का हिस्सा बन जाते हैं। लेकिन इस बार भागलपुर की सभा में जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने सभी को चौंका दिया। पीएम मोदी और नीतीश कुमार एकसाथ खुली जीप में बैठकर मंच तक पहुंचे। मंच पर भी दोनों के बीच गजब की ट्यूनिंग देखने को मिली।  

पीएम मोदी ने न सिर्फ नीतीश कुमार की तारीफ की, बल्कि इशारों-इशारों में विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा—  

*"ये मोदी है, नीतीश जी हैं, जो किसानों के हक का किसी को नहीं खाने देंगे। ये काम कोई भ्रष्टाचारी नहीं कर सकता।"*  

पीएम मोदी की इस टिप्पणी को राजद और कांग्रेस पर सीधा हमला माना जा रहा है। वहीं, नीतीश कुमार ने भी जवाब में कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बिहार को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है।  

## **क्या यह चुनावी संकेत है?**  


बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पीएम मोदी और नीतीश कुमार की यह दोस्ती क्या चुनावी रणनीति का हिस्सा है? बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार एक ऐसा चेहरा हैं, जिन्होंने हमेशा अपनी चालाकी और चतुराई से सियासी समीकरण बदले हैं।  


अगर हम 2019 के लोकसभा चुनाव को देखें, तो जदयू और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा और शानदार जीत हासिल की। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद परिस्थितियां बदल गईं। नीतीश कुमार महागठबंधन में चले गए, लेकिन फिर अचानक से एनडीए में वापसी कर ली।  


अब सवाल उठता है कि क्या यह दोस्ती चुनाव तक कायम रहेगी या फिर कोई नया सियासी उलटफेर होगा?  


## **विपक्ष की प्रतिक्रिया— 'यह सिर्फ चुनावी ड्रामा है!'**  


पीएम मोदी और नीतीश कुमार की इस दोस्ती पर विपक्ष ने तंज कसना शुरू कर दिया है। पप्पू यादव ने कहा कि—  


*"नीतीश कुमार और भाजपा की यह दोस्ती जनता को धोखा देने की कोशिश है। चुनाव के बाद क्या होगा, इसका भरोसा किसी को नहीं!"*  

वहीं, वीआईपी पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी ने पीएम मोदी को ‘नाम के पीएम, काम के प्रचारक’ करार दिया और कहा कि यह सबकुछ केवल चुनावी फायदे के लिए किया जा रहा है।  

## **क्या बिहार की जनता फिर करेगी एनडीए पर भरोसा?**  

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार की जनता इस बार भी भाजपा-जदयू गठबंधन को समर्थन देगी? अगर हम पिछले चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें, तो एनडीए का प्रदर्शन बेहतर रहा है। लेकिन इस बार बिहार के मतदाता क्या सोचते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। 

क्या पीएम मोदी और नीतीश कुमार की यह जोड़ी बिहार में फिर से कमाल दिखाएगी, या फिर जनता किसी नए विकल्प की तलाश में है? यह सवाल आने वाले चुनाव में साफ हो जाएगा।  

## **आपकी राय क्या है?**  

आपको क्या लगता है— क्या पीएम मोदी और नीतीश कुमार की यह दोस्ती लंबे समय तक चलेगी, या फिर यह सिर्फ चुनावी रणनीति है? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!

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