Lalu Prasad Yadav ने Nitsih Kumar के माथे पर कब लगाया था दही का टीका...?"
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"लालू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के माथे पर कब लगाया था दही का टीका...?"
बिहार की सियासत में मकर संक्रांति का पर्व हमेशा से खास रहा है, और इस बार भी दही-चूड़ा भोज ने राजनीतिक चर्चाओं का रुख बदल दिया है। जहां एक तरफ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने राबड़ी आवास पर पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भोज का आयोजन किया, वहीं दूसरी ओर बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने अपने सरकारी आवास पर एनडीए के नेताओं को आमंत्रित किया। दोनों ही भोजों में नेताओं की चहल-पहल और सियासी संदेशों की गूंज सुनाई दे रही है।
लालू यादव द्वारा आयोजित दही-चूड़ा भोज की परंपरा बिहार की राजनीति में गहरे राजनीतिक रंग भर चुकी है। 2017 में जब लालू ने मकर संक्रांति पर भोज दिया था, तो उस दौरान नीतीश कुमार और अन्य प्रमुख नेता भी आमंत्रित हुए थे, और दही का टीका नीतीश के माथे पर लगाने की तस्वीर ने सियासी हलकों में हलचल मचाई थी। इस बार हालांकि, लालू यादव ने भोज में केवल पार्टी कार्यकर्ताओं को ही बुलाया, जिससे यह संदेश दिया जा रहा है कि राजद अपने खास नेताओं और समर्थकों के बीच एकजुटता बढ़ा रहा है।
वहीं, एनडीए में भी इस अवसर को राजनीतिक महत्व दिया गया। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के आवास पर आयोजित भोज में सीएम नीतीश, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और बीजेपी के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा देखा गया। यह भोज एक मंच पर विपक्षी गठबंधन के नेताओं की मौजूदगी के साथ बिहार की सियासत की नजाकत और सौहार्दपूर्ण माहौल को दर्शाता है।
चिराग पासवान, जो लोजपा-रामविलास पार्टी के अध्यक्ष हैं, उन्होंने भी दही-चूड़ा भोज आयोजित करने की घोषणा की है, जिससे यह साफ हो गया है कि बिहार के सियासी भूगोल में मकर संक्रांति की यह परंपरा अब केवल सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि एक राजनीति की ताकतवर प्रतीक बन चुकी है।
कुल मिलाकर, मकर संक्रांति के दही-चूड़ा भोज की इन सियासी बयानों और घटनाओं के बीच एक बात तो तय है - बिहार की राजनीति के हर अवसर पर, पार्टी और सरकार की सियासी गतिविधियाँ अपनी छाप छोड़ ही जाती हैं।
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